
👩🌾 किसान भाइयों साइक्लोन गुलाब के प्रभाव के कारण पूरे मध्य भारत में अगले कुछ दिनों तक बारिश होने की संभावना है।
साइक्लोन गुलाब के ऊपर मौसम विभाग की प्रतिक्रिया
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने बताया कि साइक्लोन के टकराने की प्रक्रिया रविवार शाम से शुरू हो गई है और यह करीब 3 घंटे तक जारी रह सकती है।
इसके असर से छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में अगले कुछ दिन तक बारिश होगी। 😱
IMD ने बताया कि साइक्लोन गुलाब के टकराने की प्रक्रिया ने आंध्र प्रदेश के कलिंगपट्टनम और ओडिशा के गोपालपुर के बीच के भूभाग को प्रभावित किया है। मौसम विभाग के एक बयान के मुताबिक, एक अधिकारी ने कहा कि तट से टकराने के दौरान चक्रवात की हवा की गति लगभग 90 किमी प्रति घंटे है।
राज्यों के मौसम पर कैसे प्रभाव डालेगा साइक्लोन गुलाब
सोमवार से इन राज्यों में होगी बारिश ☔
👉 स्काईमेट वेदर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साइक्लोन गुलाब के तट से टकराने के बाद उत्तरी तेलंगाना, दक्षिण छत्तीसगढ़, विदर्भ और दक्षिणपूर्व मध्य प्रदेश में भी बारिश शुरू होगी और 27 को तेज हो सकती है।
🌧️ 27 से 28 सितंबर के बीच मध्य प्रदेश, विदर्भ, उत्तरी तेलंगाना के कुछ हिस्सों, उत्तरी मध्य महाराष्ट्र, कोंकण और गोवा के साथ-साथ गुजरात और दक्षिणपूर्व राजस्थान के कई हिस्सों में मध्यम से भारी बारिश हो सकती है।
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30 सितंबर के बाद भी जारी रहेगी बारिश
वहीं आईएमडी भोपाल कार्यालय के वरिष्ठ मौसम विज्ञानी पीके साहा ने रविवार को बताया कि पिछले 24 घंटों के दौरान भोपाल, होशंगाबाद, जबलपुर, ग्वालियर, सागर, उज्जैन एवं इंदौर संभागों के अनेक स्थानों और शहडोल, रीवा एवं चंबल संभागों के कुछ स्थानों पर वर्षा हुई।
🔹 उन्होंने कहा कि रविवार सुबह भी प्रदेश के अधिकांश भागों में बारिश हुई और अगले चार-पांच दिनों तक राज्य में बारिश की संभावना है।
🔹 साहा ने बताया कि प्रदेश में मानसून का समय एक जून से शुरू होता है और 30 सितंबर तक खत्म हो जाता है, लेकिन इस बार 30 सितंबर के बाद भी बारिश होने की उम्मीद है।
🔹 इससे जाहिर होता है कि इस बार मॉनसून देर से वापसी करेगा।
साइक्लोन गुलाब के असर से होने वाली बारिश से किसानों को सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि अभी खेतों में तैयार फसल खड़ी है।
इस समय की बारिश काफी नुकसान पहुंचा सकती है। जो फसल तैयार नहीं है, उसमें दाना लगने की प्रक्रिया जारी है। लेकिन भारी बारिश से दानों की गुणवत्ता प्रभावित होने की आशंका रहती है। इससे किसानों को उपज का उचित दाम नहीं मिलता।
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