
नमस्ते किसान भाइयों और बहनों 🙏🏼
🤝🏼भारतअॅग्री का इस्तेमाल करने वाले हजारों किसान आज कम लागत में ज्यादा उत्पादन के साथ 👨🌾 स्मार्ट खेती कर रहे हैं। आप भी स्मार्ट किसान बन सकें, इसलिए हम हर रोज 👉 कृषि से जुड़ी नई जानकारियां लेकर आपसे मिलने आ रहे हैं। ✅ यह जानकारी आपकी खेती के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है। इसलिए पूरी जानकारी जरूर पढ़ें और स्मार्ट किसान बनें! 👍🏻
🌱 भारतअॅग्री किसानों को स्मार्ट बनाने की कोशिश कर रहा है। भारतअॅग्री ॲप के जरिए किसान अपनी जरूरत के मुताबिक मिट्टी की जांच, पानी की जांच के साथ ही 🛰️सैटेलाइट मैपिंग की सेवाएं भी ले सकते हैं। इसके साथ ही किसानों को अगले तीन दिन के ⛅ मौसम पूर्वानुमान की जानकारी मिल सकती है।🌱 भारतअॅग्री ॲप का इस्तेमाल करने वाले 👷♂ स्मार्ट किसानों को कम लागत में ज्यादा मुनाफा हो रहा है। इसके साथ ही फसल और मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखने में भी मदद मिलती है।
✔ अब हम आपके लिए खेती से जुड़े कुछ स्मार्ट टिप्स लेकर आ रहे हैं। 😎 खेती संबंधित टिप्स जानने के लिए भारतअॅग्री से जुड़े रहे। साथ ही अधिक जानकारी पाने के लिए आप 👉भारतअॅग्री ॲप को भी भेट दे सकते हैं।
🌑 मिट्टी में लवण (नमक) की मात्रा को मिट्टी लवणता कहते हैं। वैसे तो नमक 🌑 मिट्टी और पानी में पाया जाता है। वहीं, खनिज अपक्षय या समुद्र के क्रमशः दूर जाने से मिट्टी का लवणीकरण हो सकता है । इसके साथ ही सिंचाई करने आदि कृत्रिम क्रियाओं से भी मिट्टी की लवणता बढ़ सकती है। अगर आप भी 🌑 मिट्टी की लवणता में सुधार करना चाहते हैं, तो चिंता न करें। भारतॲग्री के इस जुगाड़ का उपयोग करके अपनी भूमि में सुधार करें।👍
- यदि भूमि समतल है, उसमे बहुत गड्ढे है, तो मिट्टी को एक तरफ समतल किया जाना चाहिए और अधिक पानी का निकास होना चाहिए।
- ट्रैक्टर चालित ब्लेड की सहायता से सतह के लवणों को खेत से बाहर खुरच कर निकालना चाहिए।
- सिंचाई के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले पानी का उपयोग करें।
- क्षारीय सहिष्णु फसलों को लिया जाना चाहिए।
- जैव उर्वरक (वर्मीकम्पोस्ट, गोबर, कम्पोस्ट खाद आदि), अम्लीय रासायनिक उर्वरक (अमोनियम सल्फेट, अमोनियम फ़ॉस्फेट सल्फेट, मोनो अमोनियम फ़ॉस्फेट, डाय अमोनियम फ़ॉस्फेट, यूरिया आदि) और जैविक उर्वरक (जीवाणु उर्वरक)।
- हरी पत्तेदार फसलें (ताग, धान, हरा चना आदि) लेनी चाहिए।
- ड्रेनेज सिस्टम (खुले चर, मोल ड्रेनेज, भूमिगत छिद्रपूर्ण जल निकासी प्रणाली, सबसॉइलर) को अपनाया जाना चाहिए।
- फसल की पैदावार, खेती / खेती में उचित परिवर्तन किए जाने चाहिए। (जैसे रोटेशन में दलहन, अनाज की फसलें, साड़ी वरम्बा पर रोपण आदि शामिल हैं)।”
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